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मंजिल / कल्पना सिंह-चिटनिस

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|संग्रह=चाँद का पैवन्द / कल्पना सिंह-चिटनिस
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<poem>

सफर ही रहे
मंजिल न मुझको भाती है,
सफर की तपिश
मंजिल की राहतों से बेहतर है।

</poem>
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