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दीवाली कहा गधे ने पहुँच ‘शाप’ पर उल्लू बोला-‘कर लो पूजन मेरा, ‘लेने आया मोल;लक्ष्मी जी का मेरे ऊपर बड़िया से बादाम छाँटकररहता सदा ऊपर’। पाँच किलो दे तोल!’ कोयल बोलीमुर्गा मेवे वाला बोला-‘मूर्ख बना मत, मैं तो ‘चम्पक’ पढ़ती, ‘पहले जेब टटोल;भाव पाँच सौ रुपए किलो हैखूब जानतीकितने तोलूँ, बुद्धि और श्रम-से सुख-संपद बढ़ती’। बोल?’[चम्पक, नवंबर रचना: 27 सितंबर 1996]
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