गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपराजित / महेन्द्र भटनागर
12 bytes added
,
12:57, 16 जुलाई 2008
पर्वतों से दृढ़ खड़े जो,
...
शत्रु को ललकारते हैं,
...
जूझते हैं, मारते हैं,
...
विश्व केर कर्तव्य पर जो
...
ज़िन्दगी को वारते हैं,
कब शिथिल होती, प्रखर उनकी रवानी !
Anonymous user
122.168.206.19