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जाति और भाषा की कसमें खिलाए ।
अपने पाजामे फाड़कर सबके चूतड़ों पर पैबंद लगाए । वह गधे की
सवारी करेगा । अपने गुप्तचरों के साथ सारी प्रजा पर हमला बोल देगा ।
वह जानता है कि चुनाव
लोगों की राय का प्रतीक नहीं, धन और धमकी का अंगारा है
जिसे लोग अपने कपड़ों में छिपाए पानी के लिए दौड़ते रहते हैं ।
वह आज
नहीं तो किसी दिन
फ्रिज में बैठकर शास्त्रों का पाठ करेगा।
रामलीला से उसे उतनी चिढ़ नहीं है जितनी पुरुषों द्वारा स्त्रियों के अभिनय से।
वह उनकी धोतियों के नीचे उभार को देखकर नशा करने लगता है।
वह बचपन के शहर और युवकों की संस्था के उस लौन्डे की याद करने
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