1,225 bytes added,
11:26, 14 जून 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक
|अनुवादक=
|संग्रह=अंतस तास / मोहम्मद सद्दीक
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
लुळ लुळ करो सलाम
देस री माटी नै परणाम करो
जागो जनगण जागो
राती घाटी नै परणाम करो।
जीवै जलम भोम रै खातर
प्राण होमता जैज कठै
बलिदानी वीरां सूं सीखो
सीस देवणो बात सटै
सदियां जिण पर लेख लिखै
उण पाटी नै परणाम करो।
जलम भोम रो उणियारो
सो‘ ममता रो उणियारो है
भूखै तिरसै जीव जगत नै
अन जळ री पूरसारो है
भोभर में कसमसती बळती
बाटी नै परणाम करो।
लुळ लुळ करो सलाम
देस री माटी नै परणाम करो।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader