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18:38, 29 जून 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हरिकेश पटवारी
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नेता सुभाष बोस तेरी, सारा हिन्द करै बडाई,
कलियुग के अवतार तनै, भारत की फंद छुड़ाई || टेक ||
साल आठ सौ से, श्री भारत माता कैद पड़ी थी,
आजादी की ख़ाहिशमन्द, जोड़े दो हाथ खड़ी थी,
सब नै जोर लगा लिए, जो हस्ती बड़ी-बड़ी थी,
सेठ बहादुर अक्लमंदों की, कोन्या अक्ल लड़ी थी,
तनै अपने सिर बोझ उठा लिया, सबकी पीठ झड़ाई ||
कटक शहर और जिला खास, सूबा बंगाल बताया,
बोस गोत्र धनाढ़य विप्र घर, जन्म आपने पाया,
नाम जानकीनाथ पिता का, जिसने लाड लड़ाया,
बचपन से था होनहार, अवतार त्रिगुणी माया,
साल सोहलवे में करली तनै, बी.ए. तलक पढ़ाई ||
वतन छोड़कर चले दिवाने, अन्तर ध्यान होये थे,
भेष बदलकर मौन धार, खुद असल पठान होये थे,
काबुल गये कंधार, जर्मनी के महमान होये थे,
गुप्त रुप से चले फेर, प्रकट जापान होये थे,
स्वतंत्रता के कारण, ब्रटिश से करी लड़ाई ||
महा भयंकर युद्ध किया, दिन में किया अंधेरा,
तोप रफल बन्दूक अगन, बम्ब बरसंण लगे चौफेरा,
अंग्रेजो ने चारो तरफ से, जब दे लिया था घेरा,
हरिकेश कहै सर-सर करता, जहाज उड़ग्या तेरा,
नही पता उस दिन से, कर गये कौन लोक चढ़ाई ||
</poem>