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19:40, 30 जून 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हरिकेश पटवारी
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छोटेपन की जड़ क्या है? गुरु कौन पुरुष है छोटा ।
जो मंगता हर वक्त, मंगत रहे नीत में टोटा।। टेक ।।
बड़पन की जड़ क्या है सतगुरु? जो बिल्कुल सवाल करै ना,
किसका जन्म सराहने लायक? हटकै जन्म धरै ना,
किसकी मृत्यु अच्छी है? जो मरज्या फिर मरै ना,
गूंगा कौन? समय पर जो चुप खिंचे, कतई डरै ना,
बहरा कौन है? सुनै ना हितकर, वह सबसे खोटा।
किसका नही इतबार? स्त्री है मिटटी का लोटा ।।
एक तत्व क्या है स्वामी? ईश्वर आचरण काम सही है,
सबसे उत्तम क्या है? जो उत्तम आचार काम सही है,
देने योग्य दान क्या है? सदा अभय परिणाम सही है,
शत्रु कौन है ? क्रोध झूठ तृष्णा सहित काम सही है,
विषयों से तृप्त नही कौन? वही कामदेव बड़ा खोटा ।
दुःख की जड़ क्या है? सिर पर मोह ममता का सोटा।।
मुख का भुषण क्या सतगुरु? सिर तोड़ पढ़ाई कर ले,
ना पछतावै कर्म कौन सा? प्रेम लड़ाई कर ले,
सच्चा कर्म कौन प्राणी हित? सहम चढ़ाई कर ले,
शिव भगवान विष्णु का पूजन? और कढ़ाई कर ले,
किसके नाश करने में सूक्ति? मन का पकड़ो चोटा।
किसमे भय नही ? साफ मोक्ष मे मिलै ना मम को झोटा ।।
बाकि और सवाल निरन्तर, डरणा चाहिए किस जन से?
लोक निंदा का डर ज्यादा, और दुनिया रूपी वन से,
अति प्यारा बन्धु कौन शिष्य? पूछ रहा भोलेपन से,
वही बन्धु हरिकेश विपत म्य,करै सहाई तन-मन से
धन सतगुरु प्यारा, पिता कहो कौन हमारा ?
पालन पोषण करे जौन, वही पिता तुम्हारा,
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