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कदमों की आहट है मादक
मादक है पायल की छम -छम
है लोच भरी बंकिम दृष्टि
बातें भी तेरी भावप्रवण
निष्कपट प्रेम आतुर प्रेमी
तुझको देता है आमंत्रण
 
ऐसा सुनता जब तुम आते
हो जाते हैं पट सतरंगी
क्या हवा चली है सनन सनन
स्वीकार करो तुम आमंत्रण
 
मेरे प्रदेश में तब आना
जब हो न कहीं पर हरियाली
होगी सूखी पत्ती डाली
तब तुम आना री तन्वंगी
री कोमलमन .. री श्याम वदन
है तुम्हें अभी से आमंत्रण
 ऐसा सुनता दुख दुःख की घड़ियां
जब जब आती है जीवन में
क्रूर ..कुटिल मतलबपरस्त..अवसरपरस्त
तब आग लगाते हैं मन में
ऐसे कुसमय में स्वयं स्वतः
तुम आना ले चंचल चितवन
मिले ना मिले आमंत्रण
</poem>
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