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जाग जाग / धरणीधर कोइराला
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11:16, 8 जुलाई 2018
हामिहेरु पनि लौ अब जागौं ।
जाति उन्नतिविषे सब लागौं ।।
घेर
घोर
नीद अब ता परित्यागौं ।
भो भयो अति सुत्यौं अब जागौं ।।
शास्त्र-पाठ पढि ध्यान घुमायौं ।।
स्त्री-युवा सब मिली अब लागौं ।
जाति
-
उन्नति विषे अब लागौं ।।
बेर धेर अझ हो कति गर्ने ?
Sirjanbindu
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