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07:08, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=सावण फागण / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
अकास
खेल रियो है -
फाग धरती साथै,
बरसा रियो है
रस-रंग री बौछाड़,
उडारियो है
रंग-रंगीली गुलार‘र
इण रंगपंचमी रै
कामणगारै
मौसम में
सरम डूबी
धरती
माथो झुकाया
भीजती जायरी है
रंगीजती जायरी है
रसीजती जायरी है
पसीजती जायरी है
</poem>