721 bytes added,
07:13, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=सावण फागण / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आ
अकास रै
ऊंचै हिमाळै माथै
आगै-आगै
जा री है
‘सैंणी’ सुन्दरी
बरफ सी घुळती
अन्तस री आग सूं
लारै लारै
उणनैं ढूंढतो
जारियो है
‘बींजो’
बिजोग रा गीत
गांवतो
गळतो-पिघळतो
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader