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07:13, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=सावण फागण / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
आ कुण
रंगभीनी-रसभीनी
मूमल,
महेन्द्र री
उडीक में
संजो राख्यो है
बादळी अकासियो’क
उण रै
सोनल-दिवळै रा
झपका-पळका पड़ै
सगळै अकास
</poem>
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