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15:45, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=सावण फागण / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
सपनां रा मिरगला
भरता रैया
कुळाचां
रात भर
बाळू री लैरां नैं
पाणी समझर,
पण तोड़ नाख्यो
उणां रो दम
दिनूगै री
किरणां री लैरां
</poem>
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