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16:37, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
कीं थारी लीला दिखाव
इण घर मांय
दिन री वेळा आयै
सगळा मिळ जासी।
थांनै लुकाऊं नीं
थांरै आडो आऊं नीं
थांनै सागै कीं नीं लावणो
छोड बंसरी नै
मा जसोदा अर नंद बाबा
अठै ई मिळ जासी
थांरी उडीक मांय।
बलराम-सुदामा अठै बिराजै
गोप-बाछड़ी सागै रमै
सूरज-चांद अठै मिळैला
बंसरी थारी सागै लायै
रूंख, गोपियां सगळा सुणैला।
कित्ता जुगां सूं उडीक है थारी
था संग मिळण सारू
मिळणै री टैम आयगी
पाछा पग थूं धर्यै ना।
</poem>
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