Changes

मा (दोय) / राजेन्द्र जोशी

1,007 bytes added, 16:41, 24 जुलाई 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
कूड़ो है औ संसार
इण माथै पाप री छियां है।

अबोट अर अछूती है
इण धरती माथै
म्हारी मा री छियां।

घणी अळगी है
पापी समाज रै चकारियै सूं
छळी-कपटी नीं आय सकै
म्हारी मा री छियां रै पसवाड़ै।

सुरग-सो दरसाव
जद मा घर मांय बिराजै
मा जद नीसरै घर सूं
घर खाली लखावै
घर, घर नीं रैवै
भाटां रो ढीगो लागै घर।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits