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17:00, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
धरम
कित्तो महताऊ हुवै
धरम निभावणो पड़ै
रोज रात रा।
धरम रै खातर
निरजळ रैवणो पड़ै
नीं रळै जळ
धरम री गिलास मांय।
गिलास रो धरम हुवै
नीं निभाय सकै
खाली गिलास धरम
भरणी पड़ै धरम रै खातर
निरजळा नै ई
निरजळ गिलास।
</poem>
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