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14:15, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
छावै सौरम
आय जावै जणै थूं
यादां झरोखै
{{KKBR}}
साच बोलणो
अपराध करणो,
झूठ नै पूज
{{KKBR}}
उण आंगळ्यां
चिकै रिगत, जिकी
गूंथै माळावां
</poem>