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14:18, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
कुरळा रैया
क्रोंच इण समै रा
कठै बाल्मीकि?
{{KKBR}}
मा तो हुवै है
चंदबणन सदा
महकाती रै
{{KKBR}}
मांय तो कीं नीं,
रैपर ई रैपर
आज सभ्यता
</poem>
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