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14:41, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
ओ दरपण
देखावै सै नैं चै‘रा
समभावी है
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मरता जावै
मीठा मधरा गीत
डी.जे. धुनां
{{KKBR}}
पीवै बिरखा
अे ऊंचा-लूंठा वट
तिरसी घास ?
</poem>
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