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14:46, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
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<poem>
पाणी है प्राण
पण हुयसी जुध
पाणी नैं लेय‘र
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जे देखै आंख
अंधारे में भी हुवै
अेक उजास
{{KKBR}}
ऊंचा भवन
ओढ लै सै उजाळा
हेठै अंधारा
</poem>
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