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14:47, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
अंग-अंग पे
बरसावै चंदण
मा-मरूभोम
होठ हिलाऊं
पण गीत तो गावै
कोई दूजो ई
मिनख खोलै
सै ई आडा घरां रा
पण मनां रा
</poem>
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