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14:51, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
सागर मन
सै‘वै ताप-त्रास तो
बादळ-जन्में
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हर तारे री
रोसणी नईं पौंचै
धरती ताईं
{{KKBR}}
लोक-जीवण
मानखै रै मूल्यां रो
अखी खजानो
</poem>
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