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15:20, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
थारा दर्सण
बणा दै म्हारी आंख्यां
मोर री पांख्यां
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जीवण तो ज्यूं
बाळू मंडी लहर
बणै‘र मिटै
{{KKBR}}
प्रेम री आंख
पल-पल बरसै
तिस्सी तरसै
</poem>
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