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15:22, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
करै है सापो
कूखां अर गरम
सोनोग्राफी रो
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सीप्यां ई नईं
आंख्यां भी निपजै है
अभीण मोती
{{KKBR}}
प्रेम रो आँसू
अमोल कोहनूर
ई जगत रो
</poem>
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