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15:33, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
नईं बचावां
पाणी, पण कैवावां
हां पाणीदार
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अखबारां रै
मूंढां बंधी है पाट्यां
विज्ञापनां री
{{KKBR}}
सरमां मरै
आज रै लोगां सामीं
पीवणा सांप
</poem>
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