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15:59, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जळसा घर
मन भर घूम थूं
गुमजै मती
{{KKBR}}
फेरती रै‘वै
म्हारै माथै हाथ मा
मरयां पछै भी
{{KKBR}}
पाणी सूं बर्फ
पाछी पिछळ पाणी
है पुनर्जन्म
</poem>
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