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16:35, 26 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
गै‘रा दुखड़ा
पथरा देवै है होठ
सीं दे जबान
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गणतंत्र तो
बणग्यो गनतंत्र
कैवां किणनैं
{{KKBR}}
गै‘री वेदना
आंख्यां बणै है जीभ
आंसूड़ा-भासा
</poem>
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