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07:50, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
सैंकडूं करै
आत्मघात पण
देस गावै ‘जय हो’
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जवान है रे!
उठा ऊंची निजर
झुकसी आभो
{{KKBR}}
धरती मा है
पण धापगी सह
थारा धमीड़ा
</poem>
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