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07:52, 27 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
पै‘ला भी आयो
अबार आयोड़ो हूं
फेर आऊंला
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काच देखतां
बीत्यो आखो जीवण
अजै अंजाणो
{{KKBR}}
छापा-तिलक
आरती‘र भजन
मन-नास्तिक
</poem>
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