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समूहगान / शैलेन्द्र
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,
08:41, 31 जुलाई 2018
देश की, जहान की, अवाम की
ख़ून से रंगे हुए निशान की
लिख
रही
गई
है मार्क्स की क़लम !
</poem>
अनिल जनविजय
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