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विश्वास / शिवदेव शर्मा 'पथिक'
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08:58, 4 अगस्त 2018
एक नया संसार लिख दो।
आज कैसा वक़्त आया, भाई-भाई को न जाने।
सब खिंचे से जी रहे हैं,
बात किसकी कौन माने।
नफरतों
नफ़रतों
को तुम मिटाकर,
आज केवल प्यार लिख दो।
इस कलम से आज कवि तुम,
एक नया संसार लिख दो।
</poem>
Sharda suman
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