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11मुस्कानें मरीहँसी गले में फँसीबधिक -पाश12'''कटे न पाश'''खुशियाँ हुई कैदपंख भी कटे।13प्राण हुए हैं अब बोझ -से भारीचले भी आओ।14कैसा मौसम!झुलसी हैं ऋचाएँअसुर हँसें।15उर -पाँखुरीझेले पाषाण -वर्षाअस्तित्व मिटे।16ईर्ष्या सर्पिणीफुत्कारे अहर्निशझुलसे मन।17कहाँ से लाएँचन्दनवन -मन !लपटें घेरे।18अश्रु से सींचेमहाकाव्य के पन्नेरच दी नारी ।19मन नहीं बाँचाअन्धे असुर बनेरक्त -पिपासु ।20दर्द जो पीतेव्यथित के मन कासुधा न माँगे।
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