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परिभाषित के दरबार में / आर. चेतनक्रांति
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05:35, 22 जुलाई 2008
जिनकी रगों के घोड़े
माँद
मांद
पर
ब¡èो èयानरत
बंधे ध्यानरत
खाते होंगे सन्तुलित-पुष्ट घास
विचार करेंगे
सिर्फ हाजिरजवाबी कह दी जाएगी
अख़बारों और
टीण्वीण्
टी.वी.
के सारे नायक
बादलों की तरह घिर आएंगे
अनिल जनविजय
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