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17:27, 22 अगस्त 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=ललित कुमार
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'''वेद-शास्त्र उपनिषदों का, मनै सार बतादे सारा,'''
'''पद-पद पै प्रमाण बता, तू पढकै पुराण अठारा || टेक ||'''
ब्रह्मा-विष्णु-शिवजी तीनो, एक दिन रण म्य हारे थे,
उस वीर का नाम बता, जिसनै तीनो के सर तारे थे,
वो केहरी ज्यूँ कुकै था रण मै, जड़ै खड़े देवता सारे थे,
इस योद्धा की मात बता, जिसनै तैंतीस कोटि मारे थे,
इस होंणी मृत्यु की मात बताकै, तू भ्रम मेटदे म्हारा ||
अंडे म्य तै लिकड़या ऋषि, उसनै करी तपस्या भारी,
आँख खुली उन्है भूख लागगी, वो खाग्या सृष्टि सारी,
तीन लोक मै शोर माचग्या, या किसनै बात विचारी,
किसनै रचदी आदमदेह मै, एक अलग सृष्टि न्यारी,
किसकी कुख तै पैदा होगी, व किसकी ध्याणी तारा ||
सृष्टि तै पहला पैदा होग्या, किसकी कुख तै कौण बता,
अपने सुत का शरीर खा लिया, क्यूँ माता लागी रोण बता,
बणी वाहे माता वाहे पत्नी, ये कुक्कर होए खोटे सोण बता,
थी कौणसी तिथि कौणसा पक्ष, जब लागी होणी होण बता,
बेटी के गर्भ तै बाप जन्मया, वो रहग्या जन्म कंवारा ||
पक्षी-पारे से पुत्र होया, करी तपस्या बण्या ऋषि खास,
मृत शरीर से शादी चाही, ऋषियों पै मंगवाई लाश,
मंत्रो से सरजीवन करदी, दावत मै खाया उसका मांस,
ललित बुवाणी आले नै भाई, विद्वानों से उतर की आस,
सतगुरु सेवा से ज्ञान मिलै, भई ना मिलता किते उधारा ||
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