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अष्ठभुजी थी ब्रहमा की पुत्री, जिसनै करी सहायता चोरां की,
बालकनाथ होया ऐसा साधु, उन्है करी सवारी मोरां की,
ज्ञान पाणी मै आग लगादे न्यूं वेदों नै बतलायाबताया, मनै खोल सभा म्य गाया ||
प्र.- बाप के ब्याह मैं बण्यां बिचौला, वो लडका कित तै आया,
पल मै गिरजा नै गणेश बनाया, गुरु जगदीश न्यू समझारया,
वा न्हा-धोकै शिव सेवा मै बैठी, शिव नै सुत का शीश उतारया,
ललित बुवाणी आले नै यो पूरा भेद बतायासुणाया, मनै खोल सभा म्य गाया ||
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