गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तूं धर्मराज तुल न्याकारी राजा, क्यूँ अनरीति की ठाणै / ललित कुमार
2 bytes removed
,
18:09, 23 अगस्त 2018
<poem>
'''तूं धर्मराज तुल न्याकारी राजा, क्यूँ अनरीति की ठाणै,'''
'''म्हारै समय का चक्कर चढ्या शीश पै, हम नौकर घरां बिराणै || टेक ||'''
पर-त्रिया पर-धन चाहवैणियां, नरक बीच मै जा सै,
Sandeeap Sharma
445
edits