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चरवाहा / सुरेन्द्र स्निग्ध
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08:22, 17 सितम्बर 2018
पृथ्वी पुनः हो जाएगी गतिशील
दिक्-
दिगंत
दिगन्त
तक फैल जाएँगी हरियालियाँ
कभी सूखेंगे नहीं आँसू, रुकेगा नहीं दूध
ममता और करुणा की बेली लहराती रहेगी
अनिल जनविजय
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