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14:50, 26 जुलाई 2008 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवमणि पांडेय
}}
[[Category:गीत]]
छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश<br>
गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:जब तेरा आंचल लहराया<br>
:सारी दुनिया चहक उठी<br>
:बूंदों की सरगोशी तो<br>
:सोंधी मिट्टी महक उठी <br><br>
मस्ती बनकर दिल में छाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:रौनक़ तुझसे बाज़ारों में<br>
:चहल पहल है गलियों में<br>
:फूलों में मुस्कान है तुझसे<br>
:और तबस्सुम कलियों में <br><br>
झूम रही तुझसे पुरवाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:पेड़-परिन्दें, सड़कें, राही<br>
:गर्मी से बेहाल थे कल<br>
:सबके ऊपर मेहरबान हैं<br>
:आज घटाएं और बादल<br><br>
राहत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:आंगन के पानी में मिलकर<br>
:बच्चे नाव चलाते हैं<br>
:छत से पानी टपक रहा है<br>
:फिर भी सब मुस्काते हैं <br><br>
हरी भरी सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:सरक गया जब रात का घूंघट<br>
:चांद अचानक मुस्काया<br>
:उस पल हमदम तेरा चेहरा<br>
:याद बहुत हमको आया<br><br>
कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश<br><br>