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अड़सठ का होने पर / सवाईसिंह शेखावत
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05:39, 17 अक्टूबर 2018
अपराजेय आत्मा के लिए दुआ करूँगा
अपनी धरा, व्योम और दिक् में मरूँगा।
(ताद्यूश रूजे़विच की कविता से अनुप्रेरित)
Kumar mukul
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