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इन्तज़ार / उज्ज्वल भट्टाचार्य

No change in size, 17:28, 23 अक्टूबर 2018
कोपलों के खिलने की ज़मीन बनाएँगी
बादलों के पीछे से हल्की -सी धूप
मेट्रो में बैठी औसत-सी दिखने वाली युवती की तरह
अचानक मुस्कराकर शर्मा-सी जाएगी
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