जहां एक ओर जीवन-संगिनी वन्दना ने स्वयं कष्ट सहते हुए भी वास्तविक अर्थों में मेरा पूरक बनना स्वीकार किया, वहीं दूसरी ओर दोनों बच्चों, सीपी और नचिकेता, ने भी मेरे जीवन के ढर्रे को समझते हुए हर तरह से मेरा साथ दिया। गुरुजनों के आशीर्वाद व मित्रों के स्नेहपूर्ण प्रोत्साहन के फलस्वरूप ही मैं अपनी यात्रा के इस चरण तक पहुंचा हूं कि बकौल मिर्ज़ा गालिब:
गोशे में कफस कफ़स के मुझे आराम बहुत है