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<poem>
समाचार हैं है अद्भुतजीवन केका
अब बर्बादी
करे मुनादी
संसाधन सीमित
सड़ जाने दोसड़े भले सबकिंतु किन्तु करेगा
बंदर ही वितरित
नियम अनूठे हैंअनूठा हैमानव-वन केका
प्रेम-रोग अब
लाइलाज
किंचित भी नहीं रहा
नई दवा नये नशे ने
आगे बढ़कर
सबका दर्द सहा
रंग बदलतेबदलतापल -पलतन -मन केका
धन की नौकर
देखो हुई धनी
बदल रहेरहाआदर्शलड़कपन केका
</poem>
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