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{{KKRachna
|रचनाकार=कविता भट्ट
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<poem>
 
बारिश के पानी में
कागज की कश्ती- सा
प्यार से तेरे प्यार को तैराना
वादा है मेरा
लेकिन शर्त यह है कि
तुझे मुझमें डूबना होगा
 
कागज जिस पर
तेरी उलझनें लिखी हों
उसे जहाज बनाकर
उड़ा सकती हूँ
तुझे आँखें मूँद,
हर उलझन को लिखना होगा
 
तेरे ख़िलाफ़ हो रही
साजिशों के पिठ्ठू
गिराने का दावा करती हूँ
तुझे मेरे हाथ में
गेंद थमाना होगा
 
साइकिल के टायर को
डंडे से दूर तक चलाते हुए
दौड़ना है- चौड़ी रोड पर
साथ-साथ ऐ दोस्त
शर्त यह है कि
एक बार हमें बचपन में
फिर से जाना होगा....
-0-
 
</poem>