|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
रामदेव बाबा बच गेला तूँ
बनल अभी न´् नञ् गोली हइ।हइ
पता तो तोहरा चल गेलइ होत
दिल्ली के अजबे बोली हइ।।हइ
जोग करइते पड़ गेली अब
दाव-पेंच से पाला।पाला
बन संन्यासी खोलइ ले
चलला हल राज घोटाला।घोटालातोहरा कि मालूम हलो न´्,नञ्बैठल चोरवन के टोली हइ।। हइ रामदेव बाबा ....
एयरपोर्ट पर बात मानके
हो जइता हल मालामाल।मालामाल
भर जइतो हल तोर खजाना
कहलइता हल नमकहलाल।नमकहलाल
जन्ने-जन्ने तूँ देखता हल
ओन्ने-ओन्ने होली हइ।। हइरामदेव बाबा ....
आधी रात में सुतला पर
ऊ जुलमी डंडा बरसइलक।बरसइलक
बूढ़ा, बूढ़ी आउ बच्चन पर
बेखौफ कहर ऊ बरपइलक।बरपइलक
देख लेला होत आँख से अप्पन
सत्ता कते छिछोली हइ।। हइरामदेव बाबा...
जलियाँवाला बाग के घटना
ताजा हो गेल आँख में।में
दिन में मारलक हल अंगरेजवन
ई त मारलक रात में।में
इनसानन के गरम-खून
ओकरा ले बस रंगोली हइ।। हइरामदेव बाबा ...अपने न´् नञ् घबराथिन बाबावीर के साथ ई होबऽ हइ।हइ
देखला पर ई ओछी हरकत
इतिहास कभी भी रोबऽ हइ।हइ
बतलाबइ पड़तो तोहरा ई
सब न´् हँसी-ठिठोली हइ।। हइरामदेव बाबा ...
फिर से बाबा एक बेरी
हुंकार तोरा भरे पड़तो।पड़तो
काँटा पर चलके तोहरा
प्रतिकार फेर करे पड़तो।पड़तो
मरन-जिअन तो धूप-छाँह के
जइसन आँख-मिचोली हइ।। हइरामदेव बाबा ....
तोहरा जइसन जन-नायक
सैलाब के लेले आवऽ हइ।हइ
लाबइ या न लाबइ कुच्छज्ञे
इंकलाब के लाबऽ हइ।हइ
हम्मर तोहरा साथ हइ ऐसन
जइसन दामन-चोली हइ।। हइरामदेव बाबा ....
तोहरा तइसन पीरबाबा
दुखियारिन के पीड़ हरऽ हइ।हइ
खोंटा-पिपरी सन अततायी
छटपट करके सदा मरऽ हइ।हइ
ऊ कि देतइ तोहरा जेक्कर
खाली अपने झोली हइ।। हइरामदेव बाबा ...
अन्ना से पहिले मिलयो हल
राम के बनके तूँ अवतार।अवतार
कालाधन के पता लगाबइ ले
भेजलक तोहरा करतार।करतार
धीरज रखिहा जुलमी के अब
उठ्ठेवाला डोली हइ।। हइ रामदेव बाबा ...
बड़ी सहलिअइ अब न सहबइ
अब तो बगावत करबइ।करबइ
अप्पन हक ले ई दुनियाँ में
हम तो कयामत करबइ।करबइ
ओकरा संदेसा भेजवा दऽ
मउत हमर हमजोली हइ।। हइरामदेव बाबा ...
तोहरा जइसन जन-नायक
इंकलाब के लेले आबऽ हइ।हइ
कुच्छो लाबइ या ना लाबइ
सैलाब के लेले आवऽ हइ।।हइ
बड़ी सहलिअइ अबन सहबइ
अब तो कयामत करबइ।करबइ
अप्पन हक ले ई दुनियाँ में
हम तो बगावत करबइ।। करबइरामदेव बाबा ....
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