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|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
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<poem>
कतौ आंधी पानी आय
कतौ भुइयां डोलि जाय

चढ़ा देसवा कै पपवा बंड़ेर माई जी
लागा अंधरे के हथवा बटेर माई जी

हलाकान बा किसान
ना बिकाय गोहूं धान

भवा जियरा हमार तै ठठेर माई जी
लागा अंधरे के हथवा बटेर माई जी

कतौ काश्मीर हिल्स
कतौ बंगला रैफिल्स

करै छतिया के पिपरा टटेर माई जी
लागा अंधरे के हथवा बटेर माई जी

कतौ रूस वाले जार
गोली चला थै बिहार

धना धरती के जंग बेर बेर माई जी
लागा अंधेर के हथवा बटेर माई जी

</poem>