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08:15, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ख्वाब आँखों को दिखा कर चल दिये
इक नई दुनियाँ बसा कर चल दिये
हम निगाहों में लिए थे दिल खड़े
और वह बस मुस्कुरा कर चल दिये
चाहते तो थे तुम्हारी दोस्ती
दुश्मनी पर तुम निभा कर चल दिये
जिंदगी आसान है किस ने कहा
लोग आये दिन बिता कर चल दिये
दिल लगाया संग से पाया सिला
जश्न जख्मों का मना कर चल दिये
</poem>