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पारिजात / जगदीश गुप्त
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18:13, 30 मार्च 2019
पारिजात ।
वन्दन की रेखा पर चन्दन की
पंखुरी
पँखुरी
, चुपके से
आुँचल
आँचल
में ढलने की आतुरी,
प्राणों पर बरस रहे चुम्बन से फूल,
डालों की बाँहों के आसपास,
अनिल जनविजय
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