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सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय

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'''सतीश शुक्ला 'रक़ीब''''
 व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिचय
मूल नाम : सतीशचन्द्र कृपाशंकर शुक्ला
उपनाम : रक़ीब लखनवी
जन्म स्थान : लखनऊ , उत्तर प्रदेश , भारत
जन्म तिथि : अप्रैल 04 , 1961
पिता : (स्व.) श्री कृपाशंकर श्यामबिहारी शुक्ला माता :(स्वर्गीयास्व.) श्रीमती लक्ष्मीदेवी कृपाशंकर शुक्ला
भाई - बहन : ऊषा, शोभा, सुनील, सुधीर, आशा, शशि, सुशील एवं मंजू
पत्नी एवं पुत्री : अनुराधा - सागरिका
संपर्क : बी - 204, एक्सेल हाऊस, 13 वां रास्ता, जुहू स्कीम, जुहू, मुंबई - 400049.
09892165892+ 91 98921 65892 / +91 96997 13162
sckshukla@rediffmail.com / sckshukla@gmail.com
प्रकाशन / प्रसारण
 
“आज़ादी” : सहारा इंडिया द्वारा अगस्त 1992 में लखनऊ (उ. प्र.)
“कुछ-कुछ” : आज का आनंद द्वारा सितम्बर 2001 में पूना (महाराष्ट्र)
"परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ" : अर्बाबे-क़लम : 12 / 35 जुलाई - सितम्बर 2012 देवास, म.प्र.
'करमचंद और पुतलीबाई के बेटे थे गाँधी जी' : "गाँधी जयंती स्मारिका" - 2012 मुंबई (महाराष्ट्र)
"परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ" / “हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है : "छंद-प्रभा" : ऑनलाइन अंतर्जालीय पत्रिका : संपादक - संजय सरल : जुलाई 2012 : देवास, म.प्र.'मीठे अल्फ़ाज़ की जज़्बात पे बारिश' “: “अर्बाबे-क़लम “ : 13 / 30 अक्टूबर - दिसम्बर 2012 देवास, म.प्र.
'होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती' :"अर्बाबे-क़लम":14/44 जनवरी - मार्च 2013 देवास, म.प्र.
'मुश्किल से महीने नें बचाता है वो जितना // उतने में तो खाँसी की दवा तक नहीं आती' अंदाज़े-बयाँ उप शीर्षक अर्बाबे-क़लम : 14 / 16 जनवरी - मार्च 2013 देवास, म.प्र.
'परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ'-84 वर्षों से अनवरत प्रकाशित उर्दू का अन्तर्राष्ट्रीय रिसाला -"शायर" मुंबई (उर्दू) पेज 70 वॉल्यूम 57(84) इशू जनवरी - फ़रवरी 2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)
'होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती' :"ख़याले-शगुफ़्ता": जनवरी-मार्च 2013/26 ग़ाज़ीपुर उ.प्र.
“आप से तुम, तुम से तू कहने लगे' :"संगम":वर्ष-2013:अंक-3 मार्च 2013 : पृष्ठ-42 : पटियाला (पंजाब)
“हर एक लफ़्ज़ पे वो जाँ निसार करता है” : अर्बाबे-क़लम : 15/35 अप्रैल - जून 2013 : देवास, म.प्र.
“अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद" :“अदबी दहलीज़" : दूसरी महक/ पृष्ठ-27:पत्र प्रकाशित : पृष्ठ–2 : जून 2013 : सरायमीर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)
"क्यों ज़ुबां पर मेरी आ गई हैं प्रिये"/"होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" : उजाला-2013 दीपावली विशेषाँक :धमतरी (छ.ग.) : पृष्ठ-123
“'अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद” अर्बाबे-क़लम : 17/30 : अक्टूबर - दिसम्बर 2013 : देवास, म.प्र.
"लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : ग़ज़ल के बहाने - पुष्प-13 :पृष्ठ-123 : जवाहर नगर, दिल्ली – 7दिल्ली–7
“अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद” : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष-5: अंक 19: पृष्ठ-94 अक्टूबर-दिसंबर 2013:भोपाल म.प्र.
"लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" / "होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती": समकालीन स्पंदन : शरद अंक : अंक - 4 : वर्ष - 2013 : पृष्ठ-22 : पत्रांश- पृष्ठ-4 : वाराणसी उ. प्र.
“रख के मेज़ों पे जो भारत का अलम बैठे हैं” : अर्बाबे-क़लम : 19/30 : अप्रैल-जून 2014 : देवास, म.प्र.
“हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है”: रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष – 6 : अंक – 21 : पृष्ठ – 15 : अप्रैल-जून 2014 :भोपाल म.प्र.
"मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है" / "छा जाए घटा जब ज़ुल्फ़ों की" : गीत : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) : सोमवार 05 मई 2014 3
“बताऊँ क्यों अजीब हूँ" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) 11 जुलाई 2014
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे':" : “अभिनव इमरोज़" : वर्ष-3 : अंक-6 : पृष्ठ-77 : जून 2014 :नई दिल्ली
"है आदि काल से मानव का आचरण मित्रो" : सार्थक - 2016 : संपादक - मधुकर गौड़ : वर्ष - 30 : पृष्ठ - 22 : अक्तूबर- नवम्बर 2016 : कांदिवली (प), मुंबई - 400067 .
"पहले तो बिगड़े समाँ पर बोलना है" : ”अदबी दहलीज़” : पृष्ठ - 13 : जुलाई - सितंबर 2016 : सरायमीर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)
"बदले मौसम, बदलें हम" / "संयोग साहित्य" वर्ष - 19 : अंक - 3-4 : पृष्ठ - 104 : जुलाई-दिसम्बर 2016 : भायंदर (पूर्व) , मुंबई (महाराष्ट्र)
"हसरते बोसाए रुख़सार, नहीं थी कि जो है" :"माहनामा जहाँ नुमा (उर्दू) : वॉल्यूम - 12 : इशू -2 : पृष्ठ - 14 : दिसंबर 2016 : गंगोह, सहारनपुर (उ.प्र.)
"उफ़ ! मिटा पाए न उसकी याद अपने दिल से हम" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष – 8 : अंक - 31 : पृष्ठ - 50 : अक्टूबर-दिसंबर 2016 : भोपाल (म.प्र.)
"बदले मौसम, बदलें हम" : "माहनामा जहाँ नुमा (उर्दू) : वॉल्यूम - 7 : इशू -2 : पृष्ठ - 8 : अप्रैल 2017 : गंगोह, सहारनपुर (उ.प्र.)
"ये हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई" : माहनामा बे-बाक (उर्दू) : वॉल्यूम - 11 : नम्बर -127 : पृष्ठ - 47 : अप्रैल 2017 : मालेगाँव, नासिक - 243203 महाराष्ट्र
"साहित्य और देश प्रेम की अनुपम मिसाल - ऊषा भदौरिया 'ऊषा' : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष – 9 : अंक - 33 : पृष्ठ - 52 -53 : अप्रैल - जून 2017 : भोपाल (म.प्र.)
"ये हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई" : मन्थली उर्दू मेला (उर्दू) : इशू - 96 : पृष्ठ-44 : मार्च-अप्रैल 2017 : नागपुर (महाराष्ट्र)
"उर्दू है मेरी जान ! अभी सीख रहा हूँ" / "दास्ताँ सुनो यारो लामकान मकीनों की" : अर्बाबे-क़लम : अंक-31 : पृष्ठ - 21 : अप्रैल-जून-2017 : देवास, म.प्र.
"समीक्षा - थिरक उठी है ग़ज़ल" : शायर - वी. सी. राय 'नया' / : अदबी देहलीज़ : अंक-31 : पृष्ठ - *** : अप्रैल - जून 2017 : सरायमीर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)
"वो सताता है दूर जा जा कर" : माहनामा बे-बाक (उर्दू) : वॉल्यूम - 11 : नम्बर -129 : पृष्ठ - 52 : जून 2017 : मालेगाँव, नासिक - 243203 महाराष्ट्र
"आंसुओं से अपना दामन तर-बतर होने के बाद”" : "लारैब" (उर्दू) :वॉल्यूम - 29: नंबर-6 : पृष्ठ - 39: जून 2017: लखनऊ (उ.प्र.)
"अंतिम अभिलाषा" पूज्य पिताजी इंजी. कृपाशंकर श्यामबिहारी शुक्ल की रचना : अभिनव इमरोज़ :वर्ष-6 :अंक-7 : जुलाई 2017: पृष्ठ- 40 : नई दिल्ली – 70.
"दास्ताँ सुनो यारो लामकान मकीनों की" : अभिनव इमरोज़ :वर्ष-6 :अंक-8 :पृष्ठ - 47 (पिछला अंदरूनी कवर पेज) अगस्त 2017: पृष्ठ-17 : नई दिल्ली – 70
"बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" : "लारैब" (उर्दू) :वॉल्यूम - 29: नंबर-8 : पृष्ठ - 40: अगस्त 2017: लखनऊ (उ.प्र.)
"ये हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई" / "फिर से शहनाइयाँ, शामियाने में हैं" / "हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है" : ग़ैर मुस्लिम ग़ज़लगो (उर्दू में) : अगस्त 2017 : हालात पृष्ठ 137 और तीन ग़ज़लें पृष्ठ 108/109/110 : बालापुर, अकोला, महाराष्ट्र.
"उर्दू है मेरी जान ! अभी सीख रहा हूँ" / "दास्ताँ सुनो यारो लामकान मकीनों की" : अदबी दहलीज़” : पृष्ठ - 17 : पृष्ठ - 5 "गौहरे-पारीना में पूज्य पिताजी इंजी. कृपाशंकर श्यामबिहारी शुक्ल की एक रचना "अंतिम अभिलाषा" जुलाई-सितंबर 2017 : सरायमीर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)
"आज माहौल दुनिया का खूँरेज़ है" : अभिनव इमरोज़ :वर्ष - 6 : अंक - 9 : सितम्बर 2017: पृष्ठ-17 : नई दिल्ली–70
"क्यों ज़ुबां पर मेरी आ गई हैं प्रिये"/"होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" : प्रखर समाचार : पृष्ठ - 7 : शनिवार, 09.09.2017 : धमतरी (छ.ग.)
"उर्दू है मेरी जान ! अभी सीख रहा हूँ" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष – 9 : अंक - 35 : पृष्ठ - 68 : अक्टूबर - दिसम्बर - 2017 : भोपाल (म.प्र.)
पूज्य पिताजी इंजी. कृपाशंकर श्यामबिहारी शुक्ल की एक रचना "अंतिम अभिलाषा" : "प्रेरणा" चतुर्मासिक : पृष्ठ -16 : अंक -51 : 2017 : पुवायां, शाहजहाँपुर उ.प्र.
"कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" / "संयोग साहित्य" वर्ष - 20 : अंक - 3-4 : पृष्ठ - 53 : जुलाई-दिसम्बर (संयुक्तांक) 2017 : भायंदर (पूर्व) , मुंबई (महाराष्ट्र)
"दास्ताँ सुनो यारो लामकां मकीनों की" : "अदबनामा" : वर्ष - 4 : अंक - 3 : पूर्णांक - 15 : पृष्ठ - 64 : जनवरी-मार्च 2018 : नरोभास्कर, जालौन उ.प्र.
“फिर से शहनाइयां शामियाने में हैं" / "अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" : गीत गागर: :अंक-22 : पृष्ठ- 27 : अप्रैल - जून 2018 : भोपाल म.प्र.
"दिलों में फिर वो पहली सी मोहब्बत हो अगर पैदा" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष – 10 : अंक - 37 : पृष्ठ - 69 : अप्रैल - जून 2018 : भोपाल (म.प्र.)
"आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब" / उर्दू मासिक "नया दौर" (उर्दू) / वर्ष - 73 : अंक - 4 : पृष्ठ - 76 :अगस्त 2018 : सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लखनऊ (उ.प्र.)
"तेरे द्वारे आऊं माँ" / "माँ यशोदा का जो दुलारा था" / "लामकाँ मकीनों की, सूफियों की पीरों की" : उजाला 2018 : प्रखर समाचार : पृष्ठ - 32 : धमतरी (छ.ग.)
“साहित्य सरोवर में बौध्दिक स्नान करने जैसा" : पत्र प्रकाशित : गीत गागर: :अंक-25 : पृष्ठ- 09 : जनवरी - मार्च 2019 : भोपाल म.प्र.
"अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष–11 : अंक - 40 : पृष्ठ - 59 : जनवरी - मार्च 2019 : भोपाल (म.प्र.)
 
आकाशवाणी-प्रसार भारती मुंबई के सम्वाहिका चैनल से रचनाओं/काव्यपाठ का प्रसारण-नवम्बर 2012
पुरस्कार, सम्मान एवं सहभागिता
मुंबई, देहली, भोपाल, पुणे, लखनऊ एवं कानपुर में 300 400 से अधिक मुशायरों, नाशिस्तों, कवि सम्मेलनों और काव्य गोष्ठियों में शिरकत
मुंबई की सामजिक एवं साहित्यिक संस्था आशीर्वाद द्वारा विशेष सम्मान मई 2008
मुंबई में सम्पन्न 24 घंटे के अखंड काव्य अनुष्ठान में सहभागिता और सम्मान पत्र अक्टूबर 2012
निर्माता / निर्देशक म ना नरहरी जी द्वारा निर्मित 40 रचनाकारों के सामूहिक वीडियो एलबम "दस्तावेज़" में सहभागिता : लोकार्पण दिनांक 03.03.2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)
संस्कृति संगम (रजि.) : जोशी बाग़ , कल्याण (महाराष्ट्र) द्वारा आयोजित "हिंदी-उर्दू कवि सम्मलेन - मुशायरा" में पुष्प गुच्छ, शाल एवं स्मृति चिन्ह द्वारा सम्मानित आयोजक - श्री विजय पंडित साहिब एवं श्री अफ़सर दखनी साहिब : 25 दिसम्बर 2016.
अंजुमन फ़रोग-ए-उर्दू द्वारा दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय ग़ज़ल गोष्ठी "ग़ज़ल उत्सव" में शिरकत और स्मृति चिन्ह : जनवरी 2018.अनुबन्ध फाउंडेशन (संस्थापक श्री प्रमोद कुमार कुश 'तनहा' साहिब) द्वारा आयोजित प्रथम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह जो दिनांक 10 मार्च 2019 मराठी ग्रंथ संग्रहालय, ठाणे, महाराष्ट्र में संपन्न हुआ में स्मृति चिन्ह और शाल सहित विशेष सम्मान.  ***************************
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