Changes

अनपढ़-निरक्षर जे भाय-बहिन छै
हुनका क-ख-ग-घ पढ़ावोॅ।
पढ़ावोॅ हे सखिया।।सखिया।
ओझा-गुनी झाड़-फूंक बताबै
पढ़ी-लिखी के डाॅक्टर बुलावोॅ।
बुलावोॅ हे सखिया।।सखिया।
गाँव के महाजनें, खोजै टिप्पाधारी
करी केॅ दसखत देखावोॅ।
देखावोॅ हे सखिया।।सखिया।
बेटा के बाप दहेजोॅ के लोभी
हुनका कचहरी पहुँचावोॅ।
पहुँचावोॅ हे सखिया।।सखिया।
सासु-ननद मिली पुतहु केॅ मारै
हुनका ललका कोठी दिखावोॅ।
दिखावोॅ हे सखिया।।सखिया।
मौका ई अंतिम साक्षरता अभियानोॅ के
सगरे ज्ञान दीप जलावोॅ।
जलावोॅ हे सखिया।।सखिया।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,473
edits