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अपने वश में कुछ नहीं / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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23:11, 4 मई 2019
आँचल में दे दो मुझे,प्रियवर की सब पीर।।
48
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अपने वश में कुछ नहीं, विधना का यह खेल।
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कौन बाट में छूटता,कौन करेगा मेल।।
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वीरबाला
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